हाल के दो वर्षों में अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में वृद्धि के साथ, एशिया के सबसे बड़े तेल आयातक देशों में से एक के रूप में भारत में आर्थिक और व्यापारिक घाटे को चौड़ा करने के लिए उच्च तेल की कीमतों के साथ, और उभरते बाजारों में समग्र निवेश के रूप में रुपये के अवमूल्यन की दर में वृद्धि से एक मोटी कीमत चुकानी पड़ी है । उस छोर तक भारत सरकार फिर से कुछ ' गैर-जरूरी आयात ' कर दरों को बढ़ाने के लिए कदम बढ़ाती है जिससे रुपए के अवमूल्यन पर बढ़ी हुई पूँजी का प्रभाव धीमा पड़ जाता है.
स्थानीय समय 26 सितंबर, रायटर के अनुसार बताया कि भारतीय अधिकारियों ने बुधवार को ' गैर जरूरी वस्तुओं के आयात टैरिफ में 19 प्रकार की वृद्धि की घोषणा की । यह मार्क्स देश द्वारा एक और संरक्षणवादी रूख अपनाते हैं ताकि इसके चौड़ीकरण चालू खाते के घाटे को कम किया जा सके और रुपये के तीखे अवमूल्यन से निपटे । बताया जा रहा है कि नई टैरिफ पॉलिसी गुरुवार (27 सितंबर) में प्रभाव में आएगी, इस बार एयर कंडीशनिंग, फ्रिज, फुटवियर, स्पीकर्स, लगेज में बढ़ोतरी के साथ ही टैक्स की दरों जैसे गुड्स का एविएशन टर्बाइन फ्यूल इम्पोर्ट भी बढ़ेगा ।
यह कदम चीन और दक्षिण कोरिया जैसे देशों से भारत को निर्यात को प्रभावित कर सकता है, जो भारत में बेचे जाने वाले हाई-एंड वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर और एयर कंडीशनरों का उत्पादन करता है । भारत ने एक नोटिस में कहा कि मार्च को समाप्त होने वाले पिछले वित्त वर्ष में १९ मदों की कुल आयात में लगभग ८६०,०००,०००,००० रुपए की राशि ($११,८४०,०००,०००) है. रायटर के अनुसार, इस नई पहल कोरिया और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स, नाइके और अंय प्रसिद्ध कंपनियों, सामान बॉक्स निर्माता नई सुंदरता और वक्ता ऑडियो उपकरण निर्माता बोस में सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स सहित कंपनियों को प्रभावित कर सकते हैं ।